बात कुछ ज्यादा पुरानी नहीं....... कोरोना की पहली लहर खत्म हो ही रही थी और जन मानस पिछले काफी समय की घुटन से थोड़ा रिलेक्स अनुभव कर रहा था।...... आज युवराज ऑफिस से खुशी खुशी घर की तरफ ड्राइव कर रहा था, ऑफिस की थकान भी काफूर थी उस पर....क्यों न हो आज अपने परिवार के लिये नया आशियाना जो देखने जाना था।.... अपना आशियाना.....अपने सपनों का घर।......... घर छोटा होने के कारण अभी पिछले साल ही तो बाबूजी ने बच्चों की पढाई का वास्ता देकर अपनी तरफ से बीस लाख रूपये देकर विनय भाईसाहब को नये घर में शिफ्ट करवाया था।....... ’चलो चलो सब तैयार हो जाओ...हम ’सुमिरूद्ध सिटी’ में फ्लैट देखने चल रहे है।’ घर पहुंचते ही युवराज ने मां, बाबूजी, रूचि और विक्की से एक साथ ही कह दिया था। रूचि....युवराज की वाइफ ... तो मानो कई दिनों से इस दिन का इंतजार ही कर रही थी। युवराज को तुरन्त चाय का कप पकड़ाकर तैयार होने चली गयी। विक्की... युवराज का छोटा भाई...कुछ उधेड़बुन में दिखा...’भईया मैंने क्या करना जाकर, आप होकर आ जाइये.... मै घर पर ही रह लूंगा।’ मां-बाबूजी अपने बेटे की खुशी का मौका ताक ही रहे थे सो तुरन्त तैयार होक...