सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रिश्तों की मिठास - जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी

बात 8 जून के रात की है...........हाँ हाँ 8 जून ही थी........... सुमिरूद्ध अपने एक्टिवा पर घर की तरफ जा रहा था.......जा रहा था या अपने शरीर को ढो कर ले जा रहा था............क्योंकि उसका मन तो अभी भी पीछे 14/टाइप ।।। में छूटा हुआ था। सोचता हुआ जा रहा था कि ........ सुनाई देता था कि समय बड़ा बलवान होता है............पिछले कुछ सप्ताह में तो यथार्थ रूप में अहसास भी कर लिया था। 


कोरोना से पहले सुमिरूद्ध की एकमात्र बहन का अचानक चले जाना। फिर छोटे भाई समान वीर सिंह का साथ छूटना। इन गमों से वह उबर ही रहा था कि राजवीर के आईसीयू में होने का पता चला। राजवीर जो कभी उसको एक दोस्त का अहसास कराता था पर कहीं न कहीं उसे बड़े भाई की इज्जत देता था। इस डबल रिश्ते की डोर ने सुमिरूद्ध को आईसीयू तक खींच लिया था। चार दिन ..........बस चार दिन के आईसीयू में साथ के बाद राजवीर सुमिरूद्ध से हमेशा के लिए दूर हो गया। प्रभा ....... राजवीर की वाइफ ......सुमिरूद्ध की दोस्त तो पहले ही उन्हें छोड़ चुकी थी।


समय, भगवान, लॉक डाउन सुमिरूद्ध को नई जिम्मेवारियों का अहसास करवा रहे थे। अब उसने यह निश्चित कर ही लिया था कि उसमें माद्दा है इन जिम्मेवारियों को सम्हालने का और सम्हालेगा भी। उसे अहसास हो गया था कि राजवीर और प्रभा के मासूम बच्चे उसके ही तो हैं। 14 मई से 8 जून तक सुमिरूद्ध के दिल, दिमाग और शरीर बस एक ही जतन में थे कि उन खिलती हुई कलियों को मुरझाने नहीं देना है उनका सम्बल बनना है। 




किया भी यही.........और हुआ भी यही कि वे सुमिरूद्ध अंकल के इस ईमानदार, सच्चे व पवित्र रिश्ते को पहचानने लग गए थे। प्रभु की असीमित शक्तियों में विश्वास करने वाले ये बच्चे अब इस विषम परिस्थिति से निकलने का निश्चय भी कर चुके थे। उन बचपनों के बीच सुमिरूद्ध का समय कैसे फुर्र से गुजर गया पता ही नहीं चला परन्तु उसे यह अहसास था कि उसके व उसके अज़ीज़ दोस्तों की मदद से उन बच्चों को नियमित ज़िंदगी के पथ पर अग्रसर कर दिया था। अब सुमिरूद्ध को व उन बच्चों को आपस में बात करना, मज़ाक करना भी अच्छा लगने लग गया था तथा एक दूसरे की उपस्थिति भी अच्छी लग रही थी ..........


.......कि लॉक डाउन खुल गया। अब सुमिरूद्ध को तो कल वापस अपने कार्यक्षेत्र की तरफ लौटना है। दोस्ती के रिश्ते से उपजे इस नए रिश्तों की ऊर्जा में  बातें करते करते अभी 14/टाइप।।।............ उनका नया आशियाना छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था। पर समय बड़ा बलवान होता है वो चलेगा भी और आपको चलाएगा भी। बच्चों पर हाथ फेरता हुआ सुमिरूद्ध बड़े भारी मन से एक्टिवा पर बैठा था और अपने इस शरीर को विपरीत दिशा में खींच कर ले जा रहा था .......... और यह भी सोच रहा था कि इन रिश्तों की........इन जिम्मेवारियों की ये तो शुरुआत भर है। समय बड़ा बलवान है .......... राह दिखायेगा और हम चल पड़ेंगे .........आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं इक ऐसे गगन के तले। जहां गम भी न हो, आंसू भी न हो, बस प्यार ही प्यार पले



टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर ......दिल को छू गया ❤

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही हृदयस्पर्शी लेख लिखा है बेटा आपने।अपनी मन:स्थिति को आपने बहुत ही अच्छे ढंग से अभिव्यक्त किया है ।जो कार्य आप करने जा रहे हैं वह बहुत ही सराहनीय और प्रेरणादायक है ।ईश्वर आपको इस कार्य में सफलता प्रदान करे ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. 🙏 अपनी भावनाओं को बस शब्दों में पिरोने का प्रयास था... हार्दिक शुक्रिया..🙏

      हटाएं
  3. अत्यंत मार्मिक। जीवन का सत्य। सुमिरुद्ध के अजीज दोस्त इस मिशन में हमेशा उनके साथ रहेंगे। राजवीर का परिवार सबका परिवार है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बिल्कुल...राजवीर का परिवार अब सुमिरुद्ध के दिल के करीब है।

      हटाएं
  4. मित्रता का रिश्ता,खून के रिश्तों से भी बढ़कर होता है,इसे प्रमाणित करने की कोशिश की है सुमिरुद्ध ने
    ईश्वर अवश्य इसमें सहयोगी रहेगा
    राजवीर का परिवार हमारा अपना परिवार है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दुआओं की और सकारात्मकता की जरूरत है जो आपकी टिप्पणी से मिल रही है...शुक्रिया..🙏

      हटाएं
  5. Oh God so beautifully written..Heart touching..Stay blessed always

    जवाब देंहटाएं
  6. दोस्त वहीं जो संकट में काम आए। आप भावुकता युक्त इंसान हो , मैं जानता हूँ। आपने विगत दिनों में बहुत कुछ सहा और देखा है। कहानी के माध्यम से आपने अपनी पीड़ा और इच्छा दोनों जाहिर की। समीरुदु को स्वंय बलवान बनना होगा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुमिरुद्ध आप सबकी दुआओं के साथ हमेशा बलवान रहेगा। ब्लॉग को आपने दिल से पढ़ा और विवेचना की... बहुत बहुत शुक्रिया..🙏

      हटाएं
  7. अत्यंत मार्मिक। जीवन का सत्य।मित्रता का रिश्ता,खून के रिश्तों से भी बढ़कर होता है,इसे प्रमाणित किया है आपने।
    मन:स्थिति को आपने बहुत ही अच्छे ढंग से अभिव्यक्त किया है।आप जो कार्य करने जा रहे हैं वह अत्यंत सराहनीय और प्रेरणादायक है ।ईश्वर आपको इस महान कार्य में सफलता प्रदान करे ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया आपकी दुआओं के लिए। इस प्रयोजन में आप भी उस परिवार के साथ खड़ी रहीं और अपने प्रयासों से उचित सहायता की....बहुत बहुत शुक्रिया...🙏

      हटाएं
  8. अत्यंत मार्मिक..... परमात्मा इस पथ पर चलने की भरपूर शक्ति, सद्बुद्धि और अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखे ।ये प्रार्थना सबकी कबूल हो ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बिल्कुल...आपका सदा आशीर्वाद चाहिए...ईश्वर कहीं न कहीं आप जैसे इंसानों में ही है। 🙏😊

      हटाएं
  9. Aaj Sumirudh Jaise tyagi manav hi Corona mahamari mai anaath bachho ko snaath hone ka sambal pradan kar rahe hain.vicharo ki pavìtrata,aatmic bal,dayitva lene aur nirvahan karne ka samarthya hi divya Shakti dete hain.
    Aise Eeshwariya karya mai hum sub gilhari jaisa karya karne ko tatpar hain.
    Vicharo mai marmic samvedana hridaya ke tar jhhankrit kar deti hai. Vawanatmak peerha aur dayitwabodh Sumirudha ko balshali banate hain.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपने बहुत सुंदर शब्दों में मेरी पोस्ट के मोटिव को अपने शब्दों में पेश किया है। जिस महामारी के बीच हम अभी जी रहे हैं, वहां समर्पण भाव से लग कर मानव सेवा अत्यंत आवश्यक है। अभी मानवीय रिश्ते ही उन प्रभावित परिवारों के तारणहार बन सकते हैं। बहुत बहुत दिल से शुक्रिया आपकी अभिव्यक्ति के लिए...🙏

      हटाएं
  10. Sanju! समय सचमुच बलवान होता है । कब ,कैसे और क्या हो जाये,
    कुछ पता नहीं। सब ईश्वर की रचना है।
    सुमिरुद्ध और दोस्त की कहानी हृदय विदारक व मार्मिक है ।
    ईश्वर ने बच्चों की रक्षा के लिए सुमिरुद्ध को देवदूत बना कर भेजा है ।
    ईश्वर सुमिरुद्ध को शक्ति और हिम्मत दे । और अपने लक्ष्य को पूरा करे । हम भी ईश्वर से यही प्रार्थना करते है । बच्चों को हमारा आशीर्वाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुमिरुद्ध ने सिर्फ मानवीय धर्म और दोस्ती का फर्ज निभाया है। ईश्वर उन बच्चों के साथ सदैव रहेगा और मार्गदर्शन करता रहेगा। आपकी अभिव्यक्ति के लिए शुक्रिया 🙏

      हटाएं
  11. क्या लिखा है साहेब, दिल को छु लेने वाली हकिकत। प्रणाम आपको।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया...शब्दों की भावनाओं को समझने के लिए..🙏

      हटाएं
  12. आपका हर कार्य प्रेरणा दायक और सराहनीय रहा है। चाहे पारिवारिक हो,चाहे सामाजिक हो और चाहे दोस्ती का हो। ईश्वर आपको हर कदम पर सफलता प्रदान करें।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुंदर प्रयास है भाई साहब !! निरंतर लिखते रहें - आगे बढ़ते रहें - उज्ज्वल भविष्य की हार्दिक शुभकामनायें। ।। बलवीर सिंह बैस एवं समस्त बैस परिवार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया बलबीर भाई... आपकी सलाह व दुआओं के लिए..🙏..कोशिश रहेगी की उच्च गुणवत्ता की लेखनी पेश करता रहूं।

      हटाएं
  14. Hridaya ki gahraiyon se aayi aapki ye kahaani aapke ahsaas ka spast darsan h.....aur saath hi aapke komal hridaya ki takat ka parichay bhi deti h

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धक शब्दों के लिए...🙏

      हटाएं
  15. sumirudh ka ek chhote parivar se bade parivar ki or agman h , jo apne parivar se nikal kr pure samaj ko apna samjhe wo kise dayre me bandh sakta sumirudh sbhi ke priya h, ek bhai , ek dost ek samaj sevak , or sbhi bade logo ke ashirwad sumirusdh ji ke sath h,

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया इन सुंदर शब्दों में सुमिरुद्ध की व्याख्या करने के लिए... सुमिरुद्ध हर चेहरे पर मुस्कान चाहता है।

      हटाएं
  16. ये सिर्फ़ ब्लॉग नहीं है, सच्चाई ही है। एक संवेदनशील इंसान की जीवन के संघर्षों के प्रति स्वभाविक प्रतिक्रिया है, जो दूसरे कमजोर पड़ रहे इंसानों को हालात का सामना करने की प्रेरणा देता है। और समाज को जीवन के कष्टों के सुंदर समाधान की दिशा दिखाता है, जिसमें परस्पर एक दूसरे के सुख दुख को बाँट कर जीवन में आगे बढ़ते जाने का संदेश है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत सुंदर विवेचना की भाई तुमने... तहेदिल से शुक्रिया इन अल्फाजों के लिए...😍

      हटाएं
  17. बहुत ही उम्दा शब्दों का उपयोग किया है दादा आपने, दिल को छू जाने वाले। यह सिर्फ एक ब्लॉग नहीं, आपके मन में चल रही उत्तल पुथल को शब्द देने का शानदार प्रयास है। आपने हम सब से शेयर किए हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सोनू 😍..एक प्रयास था अपनी भावनाओं को शब्द देने का...जो तुम तक पहुंच गई.....और तुमने उसको अनुभव कर लिया।

      हटाएं

  18. वाह मेरे संजू वाह!!!

    इतनी सुन्दर और मर्मस्पर्शी चित्रण किया है आपने मानव संवेदनाओं का। आप दिन दूने और रात चौगुने आयाम स्थापित करें इस विधा में भी।

    अनंतकोटि शुभकामनाएँ!!

    गुरु और गोविन्द आप पर सदैव कृपा बरसायें।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रभु ..गुरु तो आप हैं ही...और आपका आशीर्वाद मिल गया..आपके आशीर्वाद से इस विधा में भी पारंगत हो जाएंगे... शुक्रिया सर 🙏

      हटाएं
  19. आज की हकीकत...
    बहुत बढ़िया।

    जवाब देंहटाएं
  20. आप ने बिल्कुल सही लिखा भाई साहब यह आज की हकीकत है मैं भी बड़े परिवार से हूं आज के युग में सब अपने आप को संपन्न बनाने में लगे हुए है इसके चलते वह अपने कर्तव्य को भूल रहा है आप जैसा कर्म करेंगे वैसा ही आपको फल मिलेगा आने वाली पीढ़ी हमें देखकर ही कुछ सीखेगी हम जैसा बर्ताव अपने परिवार के सदस्यों के साथ करेंगे वैसा ही शायद वह हमारे साथ कल करेंगे इसलिए हमें सदैव अपने परिवार और आसपास रहने वाले सभी लोगों से अच्छे संबंध बनाए रखना चाहिए ताकि हमारे बुरे वक्त में ना जाने कौन कब काम आ जाएं आपका लेख आज की पीढ़ी को उजागर करता है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सरित तुम्हारी इतनी अच्छी अच्छी बातों के लिए...🎉🎊🙌😍

      हटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राखी - एक अंतर्मन की कहानी

राहुल को आज का दिन बहुत ही भारी लग रहा था, मानो उसको किसी भारी पत्थर के नीचे दबा कर उसके समय को रोक दिया हो। एक एक पल बिताने में उसे एक एक घंटे का अहसास हो रहा था।  पहली बार उसको लग रहा था कि समय बीत क्यों नहीं रहा है, पहली बार उसे लग रहा था कि हे भगवान आज का दिन जल्दी से खत्म क्यों नहीं हो रहा। बेचैनी चरम पर थी। खुद को बहलाने के लिये कभी व्हाट्सअप की ओर रूख कर रहा तो कभी फेसबुक की तरफ पर वहां भी वही राखी के गाने व राखी मनाते हुये भाई-बहनों को देख कर वह और भी व्याकुल हुये जा रहा था। अब वह अपने रूम की बालकनी मे बाहर की तरफ ताक कर समय बिताने की कोशिश करने लगा ही था कि बाहर पैदल, बाइक पर, आटोरिक्शा पर, कार में सजे धजे हुये बहन-बेटियों को देख कर, उनके मुस्कुराते ऊर्जा से भरपूर चेहरों को निहार कर जागते हुये भी कहीं सपने में खोये जा रहा था। वह भी तो कभी बच्चा था उसके भी तो एक माजायी बहन थी - बहन क्या थी वह तो उसकी दोस्त, पथ प्रदर्शक, अभिभावक क्या नहीं थी सब कुछ ही तो थी। जब भाई इस दुनिया मे नहीं आया था तब ईश्वर के सम्मुख बैठकर भाई होने की दुआ किया करती थी, फिर वह शक्ति जहां कहीं भी है और...

कोरोना - दरकते पारिवारिक रिश्ते

बात कुछ ज्यादा पुरानी नहीं....... कोरोना की पहली लहर खत्म हो ही रही थी और जन मानस पिछले काफी समय की घुटन से थोड़ा रिलेक्स अनुभव कर रहा था।...... आज युवराज ऑफिस से खुशी खुशी घर की तरफ ड्राइव कर रहा था, ऑफिस की थकान भी काफूर थी उस पर....क्यों न हो आज अपने परिवार के लिये नया आशियाना जो देखने जाना था।.... अपना आशियाना.....अपने सपनों का घर।......... घर छोटा होने के कारण अभी पिछले साल ही तो बाबूजी ने बच्चों की पढाई का वास्ता देकर अपनी तरफ से बीस लाख रूपये देकर विनय भाईसाहब को नये घर में शिफ्ट करवाया था।....... ’चलो चलो सब तैयार हो जाओ...हम ’सुमिरूद्ध सिटी’ में फ्लैट देखने चल रहे है।’ घर पहुंचते ही युवराज ने मां, बाबूजी, रूचि और विक्की से एक साथ ही कह दिया था। रूचि....युवराज की वाइफ ... तो मानो कई दिनों से इस दिन का इंतजार ही कर रही थी। युवराज को तुरन्त चाय का कप पकड़ाकर तैयार होने चली गयी। विक्की... युवराज का छोटा भाई...कुछ उधेड़बुन में दिखा...’भईया मैंने क्या करना जाकर, आप होकर आ जाइये.... मै घर पर ही रह लूंगा।’    मां-बाबूजी अपने बेटे की खुशी का मौका ताक ही रहे थे सो तुरन्त तैयार होक...